आकर्षक स्तन पाने के सरल व्यायाम क्या हैं ?

उन्नत स्तनों वाली स्त्री विशेष रूप से आकर्षक दिखती है। शादी से पूर्व अथवा शादी के बाद भी कुछ महिलाओं को स्तनों के आकार से परेशानी रहती है। ब्रेस्ट पूर्ण विकसित न होने से या ब्रेस्ट छोटे-बड़े होने से हीन-भावना घर कर जाती है। किसी भी महिला के लिए यह उलझनपूर्ण स्थिति हो सकती है।

सुडौल व उन्नत वक्ष आपके सौन्दर्य में चार-चाँद लगा सकते है | इस बात में कोई दोराय नहीं है कि सुन्दर एवम् सुडौल वक्ष प्रकृति की देन है | परन्तु फिर भी उनकी उचित देखभाल से इन्हें सुडौल व गठित बनाया जा सकता है| इसके लिए सामान्य सरल व्यायाम या उपाय से सुन्दर और सुडौल बनया जा सकता है

इसके लिए कुछ उपाय प्रस्तुत हैं –

छोटे वक्ष वाली भुजा सामने की ओर फैलाते हुए सिर के ऊपर से ले जाकर लगभग दस बार घुमायें, फिर विपरीत दिशा में लगभग दस बार दुहरा कर व्यायाम पूरा कीजिए।

योगासनों द्वारा ब्रेस्ट -सौन्दर्य विशेष रूप से भुजंगासन द्वारा ब्रेस्ट की सुन्दरता बढ़ायी जा सकती है।

1. सबसे पहले घुटनों के बल बैठ जाए और दोनों हाथों को सामने लाकर हथेलियों को आपस में मिलाकर पुरे बल से आपस में दबाएँ जिससे स्तनों की मांसपेशियों में खिंचाव होगा. फिर इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपनी हथेलियों को ढीला कर दें. इस प्रक्रिया को नियमित रूप से 10 से 15 बार करे. ( वक्षों को नहीं दबाना है )

2. इसके अलावा दोनों हाथों को सामने की ओर फैलाते हुए हथेलियों को दिवार से सटाकर पांच मिनट तक दीवारे पर दबाव डालें. ऐसा करने से वक्ष की मांसपेशियों में खिचांव होगा, जिससे वक्ष पुष्ट हो जायंगे.

3. घुटनों के बल चौपाया बन जाए, फिर दोनों कोहनियों को थोडा-सा मोड़ते हुए शारीर के उपरी भाग को निचे की ओर झुकाएं. अपने शरीर का पूरा भार निचे की ओर डाले. तथा पुनः प्रथम अवस्था में आ जाए. इस व्यायाम को 6 से 8 बार दोहराएँ.

4. प्रात: काल की शुद्ध हवा में सीधी खड़ी होइये। फिर अपने दोनों हाथ ग्रीवा के पीछे बांधकर उंगलियां आपस में फंसा लीजिए। इसके बाद कुहनियों को आगे-पीछे धीरे से आरंभ करके तेजी ले आइये। यह व्यायाम नित्य पांच मिनट तक करना चाहिए। इससे वक्ष विकसित हो जाते हैं।

ब्रेस्ट बढ़ाने के लिए व्यायाम

बच्चा होने के बाद ब्रेस्ट -सौन्दर्य के लिए सर्वाधिक देखभाल करनी पड़ती है। इस अवस्था में सरल व्यायाम अवश्य करने चाहिए। वक्ष-सौन्दर्य के लिए ‘पाम प्रेसिंग” एक सरल व्यायाम है। घुटनों के बल बैठ कर हाथों को सामने लाते हुए दोनों हाथों की हथेलियाँ परस्पर पूरे बल से दबाइए, जिससे वक्ष की माँसपेशियों पर दबाव महसूस हो। फिर धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए हथेलियाँ ढीली कर दें।

इस व्यायाम को नित्य लगभग दस-पन्द्रह बार दोहराना चाहिए। वक्ष को पुष्ट रखने के लिए एक अन्य सरल व्यायाम इस प्रकार है- दोनों हाथ सामने फैलाते हुए हथेलियों से दीवार पर लगभग पाँच मिनट दबाब डालें, जिससे ब्रेस्ट की शिराओं पर खिंचाव महसूस होने लगे।

प्रतिदिन लगभग पाँच से दस मिनट तक वक्षस्थल को गरम व ठण्ड स्नान कराने से वक्ष में रक्त-प्रवाह तीव्र होने लगता है। पहले वक्षस्थल पर गरम पानी डालें, फिर ठण्डे पानी के छींटे मारें। इस क्रिया को चार-पाँच बार दुहराएँ। ब्रेस्ट पुष्ट बनाये रखने के लिए एक सरल व्यायाम इस प्रकार है। बाँहें कमर के साथ सीधी रखते हुए सीधी खड़ी हो जायें। बारी-बारी बाँहों के दोनों ओर सिर के ऊपर ले जाते हुए लगभग दस से पन्द्रह बार घुमायें।

ब्रा कब पहननी चाहिए

सूती और सस्ते कपड़ों से बनी सादी ब्रा, जो हलकी होती है | इनसे स्तनों का तापक्रम नहीं बढ़ता हैतरह-तरह की आकर्षक डिजाइनों की कलात्मक गर्म, मोटी, फोम युक्त, नायलोन आदि कृत्रिम रेशों से बनी सिंथेटिक, अधिक कसी हुई ताकि स्तनों का उभार स्पष्ट दिखाई दे | ऐसी ब्रा लाभ के स्थान पर हानि पहुंचाती है।

अत्यधिक कसी, मोटी और कृत्रिम रेशों की सिंथेटिक निर्मित ब्रा पहनने से स्तनों के ऊतक आवश्यकता से अधिक गर्म हो जाते हैं | जिससे वक्ष का कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जो स्त्रियां नायलान आदि गर्म किस्म की ‘ब्रा ‘ कस कर बांधती हैं | उनके स्तनों में कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है| जबकि सूती व सामान्य किस्म की उचित प्रकार से पहनी गई ब्रा स्तनों को ज्यादा गर्माहट नहीं पहुंचाती करती | जिससे कैंसर की संभावना घट जाती है।

ब्रा के चुनाव व पहनने में यदि कुछ सावधानियां बरती जाएं, तो संभावित दुष्परिणामों से बचा जा सकता है।

स्तन स्त्री शरीर का अत्यंत कोमल अंग होता है, अत: ब्रा ऐसी ही पहनें, जो आरामदायक हो और स्तनों को सहारा देकर आकर्षण पैदा करे।

हर स्त्री को अपने नाप की सही फिटिंग वाली ब्रा ही पहननी चाहिए। वह न तो अधिक ढीली हो और न ही अधिक कसी हुई हो।

नायलोन फोम, मोटी सिंथेटिक वाली ब्रा न पहनें | जिससे कि आपके स्तनों को अधिक गर्मी, कसाव व तनाव मालूम पड़े। यदि किसी कारणवश पहनना ही पड़े, तो कुछ घंटों के बाद उतार दें।

सोते समय स्तनों को ढीला छोड़ें, ब्रा न पहनें।

जहां तक हो सके, ब्रा हमेशा सूती, नर्म कपड़े की बनी हुई ही पहनें, ताकि उसमें पसीना सोखने की उचित क्षमता हो। इससे स्तनों की शीतलता कायम रहेगी ।

गर्भवती व प्रसूता महिलाओं के लिए उपलब्ध मैटरनिटी ब्रा का उपयोग करें | इस दौरान स्तनों में हुई 7 से 10 सेंटीमीटर तक की वृद्धि के हिसाब से नई ब्रा खरीदें | पुराने वाली ब्रा पहनने की कोशिश न करें | अन्यथा स्तनों को नुकसान पहुंच सकता है।

स्नानादि से पहले जैतून के तेल की मालिश गोलाई में हाथ चलाते हुए उरोजों पर कीजिए। तत्पश्चात एक-एक भुजा को सीधा तानकर गोलाई में घुमाइए। यह प्रक्रिया कम से कम दस बार कीजिए। फिर फव्वारे से नीचे बैठकर अथवा बाल्टी में पानी भरकर खुलकर स्नान कीजिए। इससे उरोज विकसित होंगे और रक्त संचार में तीव्रता आ जाएगी।

स्तनपान कराने वाली महिलाओं को चाहिए कि वे बच्चे को कभी भी लेट कर स्तनपान न कराएं। इससे स्तन खिंचकर ढलक जाते हैं। अत: हमेशा बैठकर स्तन को हाथ का सहारा देकर ही बच्चे को स्तनपान करना चाहिए।