क्या है मंडाला आर्ट ?

क्या है मंडाला आर्ट ?
ये कला बहुत ही पुरानी है और सदियों से लोग मंडाला बनाते आए हैं। मंडला शब्द संस्कृत से लिया गया है और इसका अर्थ है “चक्र” और यह एक डिजाइन या पैटर्न है । मंडाला आर्ट की उत्पत्ति आज से 3000 वर्ष पूर्व हिंदू और बाद में बौद्ध धर्म में हुयी ऐसा माना जाता है |
मंडाला कला का एक लंबा इतिहास रहा है। यह अपने गहरे आध्यात्मिक अर्थ और पूर्णता का प्रतिनिधित्व करने के लिए पहचाना जाता है। कई लोगों और संस्कृतियों का मानना है कि मंडलों का गहरा आंतरिक अर्थ है । बौद्धों, तिब्बतियों और हिंदुओं ने सदियों से मंडालों की मनोरम सुंदरता में अर्थ और शांति को पाया है।
मंडल का डिज़ाइन एक तरह से ब्रह्माण्ड को दर्शाता है | ब्रह्माण्ड में मौजूद संतुलन को चिन्हित करता है । जिस तरह ब्रह्माण्ड अपने में सभी वस्तुओं को समा लेता है, उसी तरह मंडल में चिन्हित सभी आकर उसके केंद्र में समा जाते हैं । इस तरह मंडाला हमारे आंतरिक दुनिया और बाहरी वास्तविकता के बीच संबंध का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्राचीन समय में, प्रशिक्षित भिक्षुओं द्वारा धार्मिक उद्देश्यों के लिए मंडल बनाए जाते थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, बहुत से लोगों को इस कला के रूप में दिलचस्पी आ गई | उन्होंने भी विभिन्न प्रकार के मंडाला बनाना शुरू कर दिए। यदि आप इस कला में नए हैं तो आप इन् टिप्स की मदद ले सकते हैं मंडल कला को निखारने के लिए।
मंडला आर्ट कला का एक रूप है
जहां रचनाकार आमतौर पर एक गोलाकार रूप में जटिल डिजाइन तैयार करता है । इस डिजाइन में आमतौर पर कई परतें होती हैं | और इसे रंगों से रंगा जाता है । वर्षों से मंडाला आर्ट आकार और प्रकृति के संदर्भ में विकसित हुए है । इसके फलस्वरूप आप आजकल विभिन्न प्रकार के मंडल देख सकते हैं। इसके बावजूद सभी मंडलों में कुछ ऐसी समानताएं होती हैं | जिससे देखकर आप कह सकते हैं कि वह एक मंडला आर्ट है।
मंडाला आर्ट की पहचान
मंडाला आर्ट बनाते समय बारीक पैटर्न को समरूपता में बनाया जाता है। जिनमें आम तौर पर एक केंद्र बिंदु होता है | यही एक मंडाला आर्ट की सबसे बड़ी पहचान है। एक मंडला को आम तौर पर उसके समरूपी पैटर्न और सिमिट्री से पहचाना जा सकता है। मंडला आर्ट में सबसे महत्वपूर्ण है कि हर पैटर्न अंत में एक विशाल चक्र या किसी दुसरे आकर का हिस्सा बनता है। जिसमें केंद्र से निकलने वाले रंग, आकार और पैटर्न होते हैं। लेकिन हर मंडल गोलाहर हो ज़रूरी नहीं है।
मंडलों का आकार रचनाकार पर निर्भर करता है। विभिन्न लोग विभिन्न प्रकार के मंडल बना सकते हैं। हालाँकि, मंडल ज्यादातर गोलाकर में बनाये जाते है, लेकिन वे वर्गों या त्रिकोणों में भी बनाये जा सकते हैं। मंडल सटीक, सावधानीपूर्वक मापे गए, ज्यामितीय, और पूरी तरह से सममित हो सकते हैं |
मंडलों को बनाने के लिए कोई बुनियादी प्रशिक्षण की ज़रूरत नहीं है या किसी योग्यता की आवश्यकता नहीं है। यदि आप इस कला में रूचि रखते हैं तो ज़रूर इसे बनाये। मंडलों का निर्माण किसी भी उम्र के व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। ज़रूरी नहीं है कि मंडला बनाते हुए आप केवल गोलाकार बनाएं। आप दूसरे आकर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे त्रिकोण या चौकोर । मंडला केंद्रीय बिंदु से बहार की ओर बनाया जाता है।
मंडाला आर्ट बनाने के फायदे
आप किसी भी आकार में पैटर्न में मंडाला बना सकते हैं। आप किसी भी रंग का उपयोग कर सकते हैं। मंडाला आर्ट बनाने कला में बहुत धैर्य और सटीकता की आवश्यकता होती है। मंडला आमतौर पर सममित पैटर्न में तैयार किए जाते हैं और आप इस कला को बनाते समय रंगों और पैटर्न के साथ प्रयोग कर सकते हैं। आपको मंडला बनाने के लिए बहुत सी वस्तुतयों की ज़रूरत नहीं है। आप बस एक कागज़ और कलम के साथ भी मंडला बनाना शुरू कर सकते हैं।
इसे बनाने में रेत रंग फूल एवं प्राकृतिक चीज़ों का प्रयोग क्या जा सकता है |विद्वानों के अनुसार भारतीय लोक कला में मंडाला आर्ट रंगोली का ही एक रूप है | इसे बनाने से शांति की अनुभूति होने के साथ कौशल में सुधार होता है | धैर्य एवं एकाग्रता का विकास होता है |
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