खुश रहने के अचूक उपाय

खुश रहना मनुष्य का जन्मजात स्वाभाव होता है. आखिर एक छोटा बच्चा अक्सर खुश क्यों रहता है? क्यों हम कहते हैं कि बचपन के दिन हमारे जीवन के श्रेष्ठतम दिन होते हैं? क्योंकि हम पैदाईशी प्रसन्न  होते हैं; पर जैसे -जैसे हम बड़े होते हैं हमारा वातावरण हमारा समाज हमारे अन्दर अनैतिकता व अनेक प्रकार के दुर्गुण रूपी विष घोलना शुरू कर देता है….और धीरे-धीरे इन दुर्गुणों का प्रभाव  इतना बढ़ जाता है कि प्रसन्नता का स्थान वैमनस्य और तनाव तथा विषाद में बदलने लगता है.

कैसे डालें कोई अच्छी आदत?

ऐसा सबके साथ नहीं होता है दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी प्रसन्न रहने की स्वाभाविक आदत को बचाए रख पाते हैं और खुशहाल रहते हैं. तो क्या ऐसे व्यक्ति हमेशा खुश रहते हैं? नहीं, औरों की तरह उनके जीवन में भी दुःख-सुख का आना जाना लगा रहता है, पर आम तौर पर ऐसे व्यक्ति व्यर्थ की चिंता में नहीं पड़ते और अक्सर हँसते -मुस्कुराते और खुश रहते हैं.

तो सवाल ये उठता है कि जब ये लोग खुश रह सकते हैं तो बाकी सब क्यों नहीं?

आखिर उनकी ऐसी कौन सी आदतें हैं जो उन्हें दुनिया भर की टेंशन के बीच भी खुशहाल बनाये रखती हैं? आज इस लेख के जरिये मैं आपके साथ खुशहाल लोगों की 7 आदतें साझा करने जा रहा हूँ जो शायद आपको भी खुश रहने में मदद करें.

तो आइये जानते हैं उन सात आदतों को :

खुश रहने वाले अच्छाई खोजते हैं बुराई नही

प्रसन्नता मानव की स्वभाविक संपत्ति  होती है कि वो नकारात्मकता  को जल्दी ग्रहण करते हैं | अधिकतर लोग दूसरों में जो कमी होती है उसे जल्दी देख लेते हैं और अच्छाई की तरफ उतना ध्यान नहीं देते पर खुश रहने वाले तो हर एक चीज में, हर एक स्थिति में अच्छाई खोजते हैं, वो ये मानते हैं कि जो होता है अच्छा होता है. किसी भी व्यक्ति में अच्छाई देखना बहुत आसान है,बस आपको खुद से एक प्रश्न करना है, कि, “ आखिर क्यों यह व्यक्ति अच्छा है?”, और यकीन जानिये आपका मस्तिष्क आपको ऐसी कई अनुभव और बातें गिना देगा की आप उस व्यक्ति में अच्छाई दिखने लगेगी.

एक बात और, आपको अच्छाई सिर्फ लोगों में ही नहीं खोजनी है, बल्कि हर एक स्थिति  में आपको सकारात्मक  रहना है और उसमे क्या अच्छा है ये देखना है. उदहारण के लिए  अगर आप किसी कार्य या साक्षात्कार  में चयनित नहीं हुए तो आपको ये सोचना चाहिए कि शायद भागवान ने आपके लिए उससे भी अच्छी जॉब  रखी है जो आपको देर-सबेर मिलेगी, और आप किसी अनुभवी व्यक्ति से पूछ भी सकते हैं, वो भी आपको यही बताएगा.

खुश रहने वाले माफ़ करना जानते हैं और माफ़ी माँगना भी:

हर किसी का अपना -अपना ईगो  होता है, जो जाने -अनजाने औरों द्वारा उसे प्रभावित किया जा  सकता है. पर खुश रहने वाले छोटी -मोती बातों को दिल से नहीं लगाते वो माफ़ करना जानते हैं, सिर्फ दूसरों को नहीं बल्कि खुद को भी. और इसके उलट यदि ऐसे लोगों से कोई गलती हो जाती है, तो वो माफ़ी मांगने से भी नहीं कतराते. वो जानते हैं कि व्यर्थ का ईगो  उनके जीवन को संतप्त  बनाएगा इसलिए वो “क्षमा मांगने ” में कभी कंजूसी नहीं करते. मुझसे भी जब गलती होती है तो मैं कभी उसे सही ठहराने की कोशिश नहीं करता और उसे स्वीकार कर के क्षमा मांग लेता हूँ| माफ़ करना और माफ़ी माँगना आपके दिमाग को हल्का करता है, आपको बेकार की उलझन और परेशान करने वाले विचारों से बचाता है, और परिणामस्वरूप  आप खुश रहते हैं |

खुश रहने वाले लोग अपने चारो तरफ एक मजबूत सहायक प्रणाली का सृजन  करते हैं:

ये प्रणाली दो स्तंभों पर स्थित होती है परिवार और मित्र | ज़िन्दगी में खुश रहने के लिए इन दोनों  का बहुत बड़ा योगदान होता है. भले आपके पास दुनिया भर की दौलत हो, शोहरत हो लेकिन अगर परिवार और मित्र नहीं है तो आप ज्यादा समय तक खुश नहीं रह पायेंगे. हो सकता है ये आपको बड़ी अजीव सी बात लगे, ये लगे की आपके पास भी बड़े अच्छे दोस्त हैं और बहुत प्यार करने वाला परिवार है, लेकिन इस पर थोडा गंभीरता से सोचिये. आपके पास ऐसे कितने मित्र  हैं, जिन्हें आप बिना किसी झिझक के रात के 3 बजे भी बात  करने लिए उठा सकें या कभी भी आर्थिक सहायता  ले सकें?

परिवार और मित्र को कभी भी अवसर की भांति नहीं लेना चाहिए, एक मजबूत रिश्ता  बनाने के लिए आपको अपने हितों से ऊपर उठ कर देखना होता है., दूसरे के बीच समझ स्थापित करनी होती है | जितना हो सके अपने रिश्तों को बेहतर बनाएं, छोटी -छोटी चीजें जैसे कि विभिन्न वेशेष अवसरों पर  बधाई देना, सच्ची प्रशंशा करना, मुस्कुराते हुए मिलना, गर्मजोशी से हाथ मिलाना, गले लगना आपके संबंधों को प्रगाढ़ बनता है. और जब आप ऐसा करते हैं तो बदले में आपको भी वही मिलता है और आपकी ज़िन्दगी को खुशहाल बनाता है.

खुश रहने वाले अपने मन का काम करते हैं या जो काम करते हैं उसमे मन लगाते हैं :

यदि आप अपनी रूचि  का, अपने मन का काम करते हैं तो निश्चय ही वो आपकी प्रसन्नता को बढ़ाएगा, लेकिन ज्यादातर लोग इतने भाग्यशाली नहीं होते, उन्हें ऐसी जॉब  या  व्यापार  में लगना पड़ता है जो उनकी रुचिं के हिसाब से नहीं होतीं. पर खुश रहने वाले लोग जो काम करते हैं उसी में अपना मन लगा लेते हैं, भले ही इसके साथ वो अपना पसंदीदा काम पाने का प्रयास करते रहे.

मैंने कई बार लोगों को जहाँ जॉब  करते हैं उस संसथान की बुराई करते सुना है, अपने काम को दुनिया का सबसे बेकार काम कहते सुना है, ऐसा करना आपके जीवन  को और भी मुश्किल  बनाता  है. खुश रहने वाले अपने काम की बुराई नहीं करते, वो उसके सकारात्मक पहलुओं पर केन्द्रित रहते हैं | और उसका आनंद लेते हैं | मगर, यहाँ मैं यह ज़रूर कहना चाहूँगा कि यदि हम दुनिया के सबसे खुशहाल लोगों को देखें तो वो वही लोग होंगे जो अपने मन का काम करते हैं, इसलिए यदि आप जो कर रहे हैं उसमे आनंद लेना सीखें |

खुश रहने वाले हर उस बात पर यकीन नहीं करते जो उनके दिमाग में आती हैं:

वैज्ञानिकों के अनुसार के हमारा मष्तिष्क हर रोज़ 60,000 विचार उत्त्पन्न  करता है, इनमे से अधिकतर नकारात्मक होते हैं | अगर आप प्रतिदिन  अपने मष्तिष्क  को हज़ारों नकारात्मक विचारों से भरा रखेंगे तो  खुश रहना तो मुश्किल होगा ही. इसलिए खुश रहने वाले व्यक्ति दिमाग में आ रहे बुरे विचारों को अधिक देर तक पनपने नहीं देते. वो संशयं का लाभ देना जानते हैं, वो जानते हैं कि हो सकता है जो वो सोच रहे हैं वो गलत हो, जिसे वो बुरा समझ रहे हैं वो अच्छा हो. ऐसा कर के इंसान संतुष्ट हो जाता है ,दरअसल हमारी सोच के हिसाब से मष्तिष्क  में ऐसे प्रक्रियाएं चलती  रहती हैं जो हमारे मूड को खुश या दुखी करती हैं. जब आप नकारात्मक विचारों को सच मान लेते हैं तो आप का रक्त संचार  बढ़ने लगता है और आप तनाव ग्रस्त हो जाते हैं |

खुश रहने वाले व्यक्ति अपने जीवन या काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ कर देखते हैं:

एक बार एक बूढी औरत कहीं से आ रही थी कि तभी उसने तीन मजदूरों को कोई ईमारत बनाते देखा. उसने पहले मजदूर से पूछा,” तुम क्या कर रहे हो?”, “देखती नहीं मैं ईंटे ढो रहा हूँ.” उसने जवाब दिया.

फिर वो दुसरे मजदूर के पास गयी और उससे भी वही प्रश्न किया,” तुम क्या कर रहे हो?”,

” मैं अपने परिवार का पेट पालने के लिए मेहनत – मजदूरी कर रहा हूँ?’ उत्तर आया.

फिर वह तीसरे मजदूर के पास गयी और पुनः वही प्रश्न किया,” तुम क्या कर रहे हो?,

उस व्यक्ति ने उत्साह के साथ उत्तर दिया, “ मैं इस शहर का सबसे भव्य मंदिर बना रहा हूँ”

आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन तीनों में से कौन सबसे अधिक खुश होगा!

दोस्तों, इस मजदूर की तरह ही खुश रहने वाले व्यक्ति अपने काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ कर देखते हैं, और ऐसा करना वाकई उन्हें आपार ख़ुशी देता है

 खुश रहने वाले व्यक्ति अपनी जीवन  में होने वाली चीजों के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैं:

खुश रहने वाले व्यक्ति जिम्मेदारी  लेना जानते हैं. अगर उनके साथ कुछ बुरा होता है तो वो इसका दोषारोपण  दूसरों पर नहीं लगाते, बल्कि खुद को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं. उदहारण के लिए  अगर वो कार्यालय  के लिए होते हैं तो ट्रेफिक जाम  को नहीं कोसते बल्कि ये सोचते हैं कि थोडा पहले निकलना चाहिए था.

अपनी सफलता  का श्रेय दूसरों को भले दे दें लेकिन अपनी असफलता  के लिए खुद को ही जिम्मेदार मानें. जब आप अपने साथ होने वाली बुरी चीजों के लिए दूसरों को दोष देते हैं तो आपके अन्दर क्रोध आता है, पर जब आप खुद को जिम्मेदार मान लेते हैं तो आप थोडा दुखी  होते हैं और फिर चीजों को सही करने के प्रयास में जुट जाते हैं. मैं खुद भी अपनी जीवन  में होने वाली हर एक अच्छी – बुरी चीज के लिए खुद को जिम्मेदार मानता हूँ. ऐसा करने से मेरी ऊर्जा  दूसरों में कमी खोजने की जगह खुद को बेहतर  करने में लगती है, और अंततः  हमारी प्रसन्नता  को बढाती है.