स्तनों के संतुलित विकास के लिए टिप्स

स्त्री सौंदर्य में ब्रेस्ट यानि स्तनों का विशेष महत्व है। सुंदर नारी भी उन्नत स्तनों के अभाव में सुंदर नहीं कही जा सकती। उन्नत स्तनों वाली स्त्री विशेष रूप से आकर्षक दिखती है।

शादी से पूर्व अथवा शादी के बाद भी कुछ महिलाओं को स्तनों के आकार से परेशानी रहती है। ब्रेस्ट पूर्ण विकसित न होने से या ब्रेस्ट छोटे-बड़े होने से हीन-भावना घर कर जाती है। किसी भी महिला के लिए यह उलझनपूर्ण स्थिति हो सकती है।

ये करें उपाय –

स्तनों पर हल्के हाथों से नीचे से ऊपर की ओर जैतून के तेल की मालिश करें।

कुछ इस तरह के व्यायाम करें जिनमें हाथों का उपयोग अधिक हो।

गहरी सांस लेकर अंदर रोकें और धीरे-धीरे छोड़ें। ऐसा कई बार करें।

छोटे वक्ष पर नरिशिंग क्रीम द्वारा मालिश करने से धीरे-धीरे छोटा वक्ष सही आकार में आ जाता है।

जैतून के तेल – ब्रेस्ट बड़ा करने के लिए जैतून के तेल से वक्ष की हर रोज मालिश करनी चाहिए | मालिश स्नान करने से पहले गोलाइयों में नीचे से ऊपर की और कम से कम पन्द्रह मिनट करें। मालिश करने के बाद ठण्डे पानी से स्नान करने से वक्ष की माँसपेशियों में रक्त-संचार तीव्र गति से होने के कारण वक्ष विकसित होने लगते हैं।

मेथी – मेथी के सेवन से स्तनों में उभार आता है। स्तनों को बढ़ाने के लिए दानामेथी की सब्जी खायें तथा दानामेथी में पानी डालकर पीसकर, पेस्ट बनाकर स्तनों पर मालिश करें।

अनार के छिलके – कसे हुए स्तनों के लिए अनार के छिलके पीसकर रात को स्तनो पर लेप करके सोयें प्रात: धोएं। कुछ सप्ताह यह प्रयोग करने से ब्रेस्ट का ढीलापन दूर होगा।

धूप – ठंड के मौसम में पारदर्शी शीशे के सामने (खिड़की के शीशे के पीछे, जहाँ से धूप आती हो) वक्षों को खोलकर धूप में सेंक लेना चाहिए। इस प्रकार की सिकाई के साथ ही अपने हाथ की अंगुलियों से वक्षों की सूखी मालिश करनी चाहिए। ब्रेस्ट की मालिश के समय ही यह जांच भी हो सकती है कि कहीं कोई गांठ वगैरह तो नहीं है। यदि ऐसा प्रतीत हो तो तुरंत लेडी डाक्टर से जाँच कराई जानी चाहिए।

ब्रा – ब्रेस्ट के सही विकास के लिए शुरू से ही सही आकार की कसी हुई ब्रा पहननी चाहिए | अन्यथा वक्ष झूलने का डर रहता है | ब्रा  का आवश्यकता से अधिक कसाव भी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं। इससे वक्ष-कैंसर तक होने की आशंका रहती है। युवतियों को तैरना, रस्सी कूदना, बैडमिण्टन अथवा टेबल-टेनिस खेलना, झूलना और घुड़सवारी करनी चाहिए।

आहार – भोजन में प्रोटीन, कार्बो-हाइड्रेट्स, चिकनाई, विटामिन, कैल्शियम, लौह-तत्व और लवण पर्याप्त मात्रा में होने चाहिए।

चिकन सूप, सौंफ के बीज, सोयाबीन, अंडे, फल, हरी सब्जियां, सूरजमुखी के बीज, तील और अलसी का सेवन करें |

ब्रेस्ट बढ़ाने और वक्ष स्थल के सौंदर्य के लिए सावधानियां अपनाई जानी चाहिए |

सावधानियां

ब्रेस्ट यौन आकर्षण का भी केंद्र बिंदु माने गए हैं | मगर इसके लिए जरूरी नहीं कि ब्रेस्ट बड़े-बड़े ही हों, यह महज एक भ्रांति है। छोटे मगर दृढ़ व सुडौल स्तनों वाली महिला भी आकर्षक दिख सकती है | जरूरी है सही ‘पोस्चर’ का अपनाया जाना। यदि आप सिर उठाकर, तनकर चलेंगी, तब चाहे ब्रेस्ट छोटे ही क्यों न हों आप आकर्षक लगेंगी।

बहुत अधिक ठंडे या बहुत गरम पानी से ब्रेस्ट को कभी नहीं धोना चाहिए।

स्तनों को जोर से नही दबाना चाहिए |

लड़कियां मासिक धर्म शुरू होते ही उचित नाप की ब्रा पहनना शुरू कर दें।

स्तनों को खींचकर बच्चे को दूध न पिलाएं।

मालिश हमेशा हल्के हाथ से नीचे से ऊपर की ओर करें। नीचे की ओर मालिश करने से ब्रेस्ट लटक जाते हैं।

ज्यादा कसी, ढीली, नायलान युक्त आदि ब्रा न पहनें। सही नं० की ब्रा ही प्रयोग करें।

रात को सोते समय ब्रा उतार कर सोएं और सुबह उठते ही अवश्य पहन लें।

शिशु को ब्रेस्ट– स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अपने वक्षस्थल की विशेष देखभाल करनी चाहिए। गलत ढंग से ब्रेस्टपान कराने वाली महिलाओं के वक्ष बेडौल होने लगते हैं। स्वयं लेट कर अथवा शिशु को गोद में लिटा कर ब्रेस्ट पान कराने से वक्ष झूलने लगते हैं। हमेशा स्वयं बैठकर और बच्चे को गोद में लिटा कर दूध पिलाना चाहिए। बच्चे का सिर स्थिर रहे। दूध पिलाने के तुरन्त बाद वक्ष के अग्रिम भाग को उँगलियों में भींच कर तीन-चार बार झटके से हिलायें, ताकि वक्ष में बचा-खुचा दूध बाहर रिस आये। इससे ब्रेस्ट में ताजगी और हल्कापन आ जाता है।

बच्चों को अपना दूध अवश्य पिलाएं, इससे ब्रेस्ट सही आकार में रहते हैं।

ब्रेस्ट पूर्णतया विकसित नहीं होने के कारण कृत्रिम रूप से वक्ष-फैलाव के लिए स्त्रियाँ मोटे पैड वाली ब्रा पहनने लगती हैं। मोटी सिन्थेटिक व नाइलोन की बनी पैड वाली ब्रा पहनने से ब्रेस्ट के ग्रन्थीय ऊतक अत्यधिक गरम हो जाते हैं | इससे कैंसर-पल्स उत्पन्न होने लगता है।

अधिक कसी हुई ब्रा पहनने से भी गरमी उत्पन्न होती है। रात के समय महिलाओं को ब्रेसियर उतार कर सोना चाहिए।

आम तौर पर विवाहिता स्त्रियों में एक वक्ष दूसरे वक्ष की अपेक्षा बड़ा होने की समस्या देखी गयी है। इसका प्रमुख कारण होता है, शिशु का एक ही तरफ का ब्रेस्ट पान करना। कई बार अविवाहिता युवतियों में भी यह समस्या देखी गयी है। इसके लिए चिन्तित होने की आवश्यकता नहीं।

ब्रेस्ट अधिक फैले हुए हों, तो मुलायम गोल कप वाली ब्रा पहनें। ऐसी हालत में लो-कट चोली अथवा ब्लाउज नहीं पहनना चाहिए।