स्त्रियों की ताकत क्या है ?

स्त्रीत्व को परिभाषित करने के लिए शब्द काफी नहीं हैं। यह एक अनुभव है, जो बस महसूस होता है। मुझे लगता है केवल स्त्री को ही ‘स्त्रीत्व’ का अहसास नहीं होता। एक पुरुष भी इस टर्म को समझता है, इसके मर्म से इंकार नहीं कर सकता।

स्त्री 

कुछ लोग बेडौल शरीर और भारी आवाज से युक्त स्त्री में स्त्रीत्व की बात से इंकार करते हैं। यह धारणा पूर्वाग्रह से भरी है। मुझे स्त्रीत्व का जो सबसे बड़ा तत्व लगता है, वह है उसका सीप की तरह होना। जो बाहर से कठोर दिखती है, लेकिन उसके अंदर दया और वात्सल्य रूपी मोती छुपा होता है। उसकी भाव-भंगिमा में ही नहीं, स्त्री की हर गतिविधियों में उसका यह गुण नजर आता है।

विभिन्न शोधकर्ताओं ने यह माना है कि चाणक्य की एक-एक नीति जीवन में सफलता की कुंजी है. चाणक्य की नीतियों को यदि भरपूर तरीके से जीवन में लाया जाए तो हम जीवन की हर एक परेशानी से बाख सकते हैं. आचार्य चाणक्य ने लोगों ने भला करने के लिए इन-इन बातों को कहा है-

“स्त्री हो या पुरुष, सभी के पास कुछ गुण, कुछ शक्तियां होती हैं जिनसे वे अपने कार्य सिद्ध कर सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है की राजा, ब्राह्मण और स्त्री की सबसे बड़ी ताकत क्या होती है।“

चाणक्य का कहना है कि-

बाहुवीर्यबलं राज्ञो ब्राह्मणो ब्रह्मविद् बली। रूप-यौवन-माधुर्यं स्त्रीणां बलमनुत्तमम्।।

राजा की ताकत होती है उसका बाहुबल, ब्राह्मण की ताकत है उसका ज्ञान,

आचार्य चाणक्य कहते हैं किसी भी स्त्री का सौंदर्य और यौवन ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति होती है। यदि कोई स्त्री सुंदर नहीं है लेकिन मधुर व्यवहार वाली है तब भी वह जीवन में कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करती है। मधुर व्यवहार से ही स्त्री मान-सम्मान प्राप्त करती हैं।